उर्दू लघु कथा, मुख़्तसर अफ़साना: परियों की बातें
लेखक: देवेन्द्र सत्यार्थी (1908 - 2003)
हिंदी अनुवाद: रज़ीउद्दीन अक़ील
परियों की बातें
मैं अपने दोस्त के पास बैठा था। उस वक़्त मेरे दिमाग में सुकरात का एक ख्याल चक्कर लगा रहा था - प्रकृति ने हमें दो कान दिए हैं और दो आंखें मगर जुबान केवल एक ताकि हम बहुत ज्यादा सुनें और देखें और बोलें कम, बहुत कम!
मैं ने कहा: "आज कोई कहानी सुनाओ, दोस्त!"
वह बोला - तो आओ, आज मैं तुम्हें एक निहायत शानदार कहानी सुनाऊं:
दो भेड़ें एक जोहड़ के किनारे पानी पी रही थीं।
पानी पीते हुए छोटी भेड़ ने कहा:
मैं अक्सर सुनती हूं इस गांव के लोग सुंदर, मन मोहिनी परियों की बातें किया करते हैं!
बड़ी भेड़ पानी पीती हुई एक क्षण के लिए रुक गई और आहिस्ते से बोली:
"चुप-चुप बहन! यह लोग असल में हमारी ही बातें करते हैं...."
स्रोत: अब्दुस समी, "देवेन्द्र सत्यार्थी - मोनोग्राफ", नई दिल्ली: राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद, 2017.
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