पुस्तक परिचय - मध्यकालीन और प्रारंभिक आधुनिक भारत में साहित्यक और धार्मिक संस्कृतियों का तानाबाना



रज़ीउद्दीन अक़ील

वेस्टर्न वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डेविड कर्ली के साथ सम्पादित हमारी पुस्तक, 'लिटरेरी एंड रिलीजियस प्रैक्टिसेज़ इन मेडिएवल एंड अर्ली मॉडर्न इंडिया (मनोहर पब्लिशर्स)' में हमारे साथ छह अन्य इतिहासकारों ने साहित्य और धर्म के अंतर्संबंधों को विशेषकर धार्मिक साहित्य को उनके मध्ययुगीन और शुरुआती आधुनिक काल के सन्दर्भ में समझने का प्रयास किया है. यह काम भारतीय देशज साहित्य और इतिहास को ऐतिहासिक समझ के केंद्र में लाने के हमारे प्रयास का हिस्सा है. इस तरह यहाँ एक साथ दो काम किया जा रहा है: पहला धार्मिक प्रथाओं का ऐतिहासिक अध्ययन और दूसरा इस कार्य के लिए देशज साहित्य का इस्तेमाल. यह दोनों राजनीतिक पचड़ों में पड़कर अमूमन अपनी मिट्टी पलीद कर रहे होते हैं. इतिहासकार का काम उसके तह में जाकर उसकी पुख़्तगी या फिसलन का जायज़ा लेना होता है. और यह बताना कि क्यों और किस तरह की मिट्टी से कैसा सामाजिक ढाँचा बनाया गया है, और जिससे उन ढांचों के अंजाम का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. 


प्रोफ़ेसर कर्ली के अलावा इस प्रोजेक्ट में हमारे सहयोगी हैं: स्कॉट कुगल, मैथ्यु क्लार्क, मृदुला झा, संध्या शर्मा, सुदेशना पुरकायस्थ और मिक्को वितामाकी.


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